देहरादून। यह एक असाधारण कहानी है हौसले और चिकित्सकीय सफलता की, जहाँ 35 वर्षीय महिला, जो मात्र आठ वर्ष की आयु में डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) कैंसर को मात दे चुकी थीं, ने मणिपाल अस्पताल, मुकुंदपुर में डॉ. बिस्वज्योति गुहा (कंसल्टेंट प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ) की देखरेख में प्राकृतिक रूप से एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। यह दुर्लभ मामला डॉ. गुहा और मणिपाल अस्पताल का तीसरा ऐसा सफल प्रसव है जिसमें बचपन में ओवेरियन कैंसर से जूझी महिला ने संतान को जन्म दिया है कृ लेकिन पहली बार यह बिना किसी सहायक प्रजनन तकनीक के संभव हुआ है।
35 वर्षीय पौलोमी घोष, जादवपुर निवासी, गर्भावस्था के 30वें सप्ताह में तीव्र ऊपरी पेट दर्द की शिकायत के साथ मणिपाल अस्पताल में भर्ती की गई थीं। प्रारंभिक जांच में परफोरेटेड अपेंडिक्स और अपेंडिकुलर लंप की आशंका जताई गई थी। पहले उन्हें एक अन्य अस्पताल में भर्ती किया गया था, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उन्हें मल्टीस्पेशलिटी सुविधाओं वाले मणिपाल अस्पताल भेजा गया। यहां उन्हें डॉ. संजय मंडल (कंसल्टेंट दृ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी एवं जनरल सर्जन) की देखरेख में प्ट एंटीबायोटिक्स से इलाज मिला। बाद में डत्प् से अपेंडिक्स सामान्य पाया गया, जिससे ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं रही और चिकित्सकीय निगरानी में इलाज किया गया। डॉ. बिस्वज्योति गुहा ने उनकी गर्भावस्था की स्थिति पर बारीकी से निगरानी रखी। उन्होंने कहा, “यह गर्भावस्था कई कारणों से बेहद जटिल थी कृ एक तरफ संभावित सर्जिकल इमरजेंसी, दूसरी ओर उनकी दुर्लभ चिकित्सकीय पृष्ठभूमि और बाद में गंभीर ऑब्स्टेट्रिक कोलेस्टेसिस का विकास। उनकी लिवर फंक्शन को दवाइयों से नियंत्रित किया गया।
इस मामले को असाधारण बनाने वाला पहलू यह है कि पौलोमी मात्र 8 वर्ष की उम्र में जर्म सेल ट्यूमर के कारण एक ओवरी गंवा चुकी थीं। इसके बाद कीमोथेरेपी भी हुई थी। इसके बावजूद उन्होंने प्राकृतिक रूप से गर्भधारण किया, जो कि बेहद दुर्लभ है। हम यह देखकर खुश हैं कि प्रसव से पहले उनकी स्थिति स्थिर हो गई थी और 38वें सप्ताह में उन्होंने 2.8 किलोग्राम की स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। ऐसे मामलों में प्टथ् की आवश्यकता सामान्य है, लेकिन यह एक अपवाद है। मणिपाल अस्पताल में यह तीसरा ऐसा मामला है, लेकिन पहला जिसमें प्राकृतिक गर्भधारण हुआ।