अल्मोड़ा। उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर राज्य आंदोलनकारियों ने नारायण तिवारी देवाल से गांधी पार्क तक पैदल मार्च किया। गांधी पार्क में हुई सभा में राज्य आंदोलनकारियों ने जहां राज्य स्थापना के 23 वर्ष पूर्ण होने पर राज्य वासियों को बधाई दी, वहीं इस बात लिए खेद व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश के राजनैतिक शोषण से जिस पहाड़ को बचाने के लिए राज्य निर्माण की लड़ाई यहां की जनता ने लड़ी और राज्य बनाया आज वही जनता, पहाड़ की जमीन को बचाने के लिए भू कानून बनाने, जंगली जानवरों से खेती बाड़ी और जान माल की रक्षा के लिए सरकार से गुहार लगा रही है। सरकार होटलों, सड़कों, रथों में कृषि महोत्सव आयोजित कर रही है जनता के खेत खलिहान जंगली,आवारा जानवरों के कारण बीरान और बंजर होते जा रहे हैं बेरोजगारी के कारण पलायन और अधिक बढ़ गया है पहाड़ के गांवों में केवल वृद्ध और असहाय लोग ही केवल मजबूरी में रह रहे हैं, गांव जनशून्य होते जा रहे हैं। सरकार राज्य आंदोलनकारियों की पैंशन बढ़ाने में जहां वित्त का रोना रो रही है वही अपने लोगों को 1975 के आपात काल में जेल बंद होने के नाम पर लोकतंत्र सेनानी घोषित कर 20-20हजार रूपये पेंशन दे रही है। वास्तविक आंदोलनकारी चिन्हीकरण से वंचित हैं क्षैतिज आरक्षण के मुद्दे को लटकाये रखना भी सरकार के आंदोलनकारियों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैये को परिलक्षित करता है इसलिए राज्य आंदोलनकारियों ने निर्णय लिया है सरकार जनविरोधी रवैये को लेकर गांव स्तर से ही आंदोलन खड़ा किया जायेगा। आज इस अवसर पर ब्रह्मा नन्द डालाकोटी, शिवराज बनौला, दौलत सिंह बगड्वाल, मोहन सिंह भैसोड़ा, गोपाल सिंह बनौला, तारा तिवारी, बहादुर राम, कृष्ण चन्द्र, बसंत जोशी, दिनेश शर्मा, हेम चन्द्र जोशी, डुंगर सिंह रावत, सुरेन्द्र सिंह, पदम सिंह आदि उपस्थित थे।
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