दिल्ली पुलिस का जवान होटलों में भेजता था लड़कियां

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दो साल से गायब 28 वर्षीय अपनी एक पूर्व महिला कॉन्स्टेबल मोना की ब्लाइंड मर्डर मिस्ट्री को सुलझा लिया है। पुलिस ने इस मामले में अपने ही एक हेड कॉन्स्टेबल और उसके साले सहित 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस सनसनीखेज मर्डर के खुलासे के बाद पुलिस जांच में साजिश, सस्पेंस, साला और कॉलगर्ल्स का एंगल भी सामने आया है। हत्या के बाद सुरेंद्र के साले रविन (26) और राजपाल (33) ने ही महिला कॉन्स्टेबल की लाश और दो साल तक अपराध को छिपाने रखने की साजिश में सुरेंद्र की मदद की थी।

लेडी कॉन्स्टेबल के मर्डर का मास्टरमाइंड हेड कॉन्स्टेबल सुरेंद्र सिंह राणा (42) और मृतक महिला कॉन्स्टेबल मोना पहले एक साथ पीसीआर यूनिट में ही तैनात थे। मोना अक्सर सुरेंद्र को डैडा कहकर बुलाती थी, और वो उसे बेटा कहता था। साथ ही वह मोना पर बुरी नजर भी रखता था। इसी दौरान सुरेंद्र मोना से एकतरफा प्यार करने लगा और उसके साथ संबंध बनाने के बारे में सोचने लगा। इस बीच, मोना का यूपी पुलिस में सब-इंस्पेक्टर पद पर सिलेक्शन हो गया और उसने दिल्ली पुलिस कॉन्स्टेबल की नौकरी छोड़ दी।

मोना आईपीएस अफसर बनना चाहती थी, इसके लिए वह दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक पीजी में रहकर पढ़ाई करने लगी। नौकरी छोड़ने के बाद भी सुरेंद्र मोना पर बुरी नजर रखता था, जब जब मोना को यह बात पता चली तो उसने इसका विरोध जताते हुए सुरेंद्र से दूरी बनाते हुए बातचीत बंद कर दी थी। इसके बाद भी सुरेंद्र अपनी आदत से बाज नहीं आया और जब मोना ने उसकी बात मानने से इनकार कर दिया तो उसने मोना को सुनसान जगह पर ले जाकर गला दबाकर उसकी हत्या कर दी थी। सुरेंद्र ने मोना की हत्या के बाद उसकी लाश को नाले के पास दफन कर उस पर पत्थर डाल दिए।

इस हत्याकांड को अंजाम देने के बाद वह बड़ी होशियारी से पुलिस और महिला कॉन्स्टेबल के परिवार को दो साल तक गुमराह करता रहा और सभी को अपने झूठ के जाल में उलझाए रखा। सुरेंद्र ने अपने साले रविन को भी इस साजिश में शामिल कर लिया। वह कॉलगर्ल्स को साले के साथ होटलों में भेजकर इन दो सालों में  मोना के परिवार को यह यकीन दिलाने में कामयाब हो गया कि वह जिंदा है और खुद ही घर लौटना नहीं चाहती।  

मोना के नाम से कॉलगर्ल को लगवाई वैक्सीन
सुरेंद्र ने वर्ष 2021 में एक कॉल गर्ल को मोना का पहचान पत्र देकर अरुणा आसफ अली अस्पताल भेजा था। वहां कॉल गर्ल ने मोना के नाम से कोविड वैक्सीन लगवाई। इस सर्टिफिकेट को भी सुरेंद्र ने मोना के परिजनों को भेजकर जिंदा होने का भरोसा दिलाया था।

कॉलगर्ल्स को मोना बनाकर होटलों में ले जाता था रविन
वहीं, रविन भी पुलिस और मोना के पीड़िता के परिवार को धोखा देने के लिए कथित तौर पर कॉलगर्ल्स के साथ हरियाणा, देहरादून, ऋषिकेश और मसूरी के होटलों में भी जाता था। रविन उन होटलों में जान-बूझकर मोना के कुछ डॉक्यूमेंट्स छोड़ देता था और उन्हें कॉल करके उनके बारे में सूचित करता था। जब पुलिस कॉल ट्रेस कर होटलों में पहुंचती थी, तो वहां के कर्मचारी पुष्टि करते कि मोना वहां आई थी। इससे पुलिस को लगता था कि सचमुच मोना अपने माता-पिता के पास वापस नहीं जाना चाहती है।

साले को मोना प्रेमी बनाकर कराई थी परिवार से बात
सुरेंद्र बेहद शातिराना ढंग से मोना की हत्या के राज को छुपाए रखने के लिए उसके परिवार के साथ मिलकर थाने से लेकर अलग-अलग स्थानों पर जाकर मोना की तलाश करने का नाटक भी करता रहा। वहीं, कुछ समय बाद उसने मोना के परिवार को फोन कर बताया था कि मोना किसी ‘अरविंद’ नाम के शख्स के साथ चली गई है। सुरेंद्र के साले रविन ने एक बार मोना का कथित प्रेमी अरविंद बनकर मोना के परिवार से बात की थी। उसने यह दिखाने के लिए कि मोना जिंदा है और इसका उपयोग कर रही है, उसके बैंक खाते से लेन-देन भी किया और वह उसका सिम कार्ड भी इस्तेमाल करता रहा। सुरेंद्र के पास मोना के कई रिकॉर्ड किए गए ऑडियो थे जिन्हें वह एडिट करता था और उसके परिवार को भेजता था।

क्राइम ब्रांच ने जब कथित अरविंंद के मोबाइल नंबर के बारे में जानकारी निकाली तो पाया कि वह नंबर किसी राजपाल नाम के शख्स का था। इसके बाद पुलिस राजपाल तक पहुंच गई और इस मर्डर मिस्ट्री से पर्दा उठ गया।पुलिस ने मोना के कंकाल के अवशेष बरामद कर डीएनए जांच के लिए भेज दिया हैं।

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