सरकारी पार्किंग में मनमानी वसूली से अधिकारियों के छापे के बाद भी राहत नहीं

हल्द्वानी। शहर में पार्किंग की दिक्कत खत्म करने के सभी प्रयास जहां फेल हो रहे हैं वहीं सरकारी कार्यालयों की पार्किंग स्थलों पर वाहन चालकों से मनमाने तरीके से वसूली अभी भी जारी है। बीते दिनों कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के निरीक्षण में पाई गई खामियों पर फटकार लगने के बाद भी हालात जस के तस हैं। कार का पार्किंग शुल्क लेकर बाइक की पर्ची देना हो या फिर महज पांच मिनट से भी कम समय के लिए वाहन को पार्क करना हो, शुल्क की वसूली होना तय है। पार्किंग की समस्या शहर की बड़ी दिक्कतों में शामिल हो चुकी है। लगातार लोग इसकी बेहतरी की मांग भी उठा रहे हैं। उच्च स्तर से इसके लिए होने वाले सभी प्रयास तो फेल होते नजर आ रहे हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर भी अधिकारियों की व्यवस्थाओं में सख्ती की कमी दिखाई दे रही है।

बीते दिनों कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने तहसील कार्यालय में बनी पार्किंग का निरीक्षण किया था। इस दौरान पार्किंग की पर्चियों से लेकर उनके आवंटन और पार्किंग शुल्क वसूली तक में गड़बड़ियां सामने आई थीं। सख्ती के साथ कमिश्नर ने तहसीलदार को व्यवस्थाओं में बदलावा और मनमाने तरीके से पार्किंग के संचालन पर सख्ती करने के निर्देश दिए थे। ताकि लोगों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े और गैर जरूरी तरीके से हो रही अवैध वसूली पर भी रोक लगाई जा सके। इसके बाद भी आज भी स्थिति वही बनी हुई है। आज भी तहसील की पार्किंग में मनमाने तरीके से वाहनों को पार्क करवाया जा रहा है।

यही हाल एसडीएम कोर्ट पार्किंग का
नैनीताल रोड स्थित एसडीएम कोर्ट परिसर में हर रोज बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। ऐसे में पार्किंग में पहुंचने वाले वाहन चालकों से मनमानी तरीके से वसूली का होना सरासर गलत है। यह हालात भी तब हैं जब सिटी मजिस्ट्रेट से लेकर प्रशासन के कई अधिकारी वहां मौजूद रहते हैं। पार्किंग की अव्यवस्थाओं के बारे में जब अधिकारियों से बातचीत का प्रयास किया गया तो किसी ने जानकारी न होने की बात कही तो किसी ने कार्यालय की छुट्टी होने का बहाना बना दिया। यहां तक कि अधिकारियों को यह जानकारी भी नहीं थी कि उनके कार्यालयों में बनी पार्किंग की क्षमता कितनी है और प्रतिदिन करीब कितने वाहनों की पार्किंग का दबाव है। इसी तरह की अव्यवस्थाएं प्रशासन के अंतरगत आने वाली रामलीला मैदान की पार्किंग में भी जारी हैं लेकिन कहीं भी अधिकारियों की न तो सख्ती दिखाई दे रही है और न ही कोई बदलाव।

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