वनाश्रित पहाड़ के ग्रामीणों की समस्याओं पर एक हुई जनता

चमोली। वन क्षेत्रों और वनों से लगते इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों के वनाधिकारों की बहाली को लेकर ग्रामीणों का एक प्रतिनिधमंडल जिलाधिकारी से मिला। केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत के नेतृत्व में ग्रामीण डीएम से मिले और सीएम को ज्ञापन भेजा।

गुरुवार को ग्रामीणों ने वन विभाग सहित सभी विभागों पर वन वासियों को उजाड़ने का आरोप लगाया है। केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत के नेतृत्व में गोंडार से भ्यूंडार, मक्कू मठ से लेकर रुद्रनाथ के हक हकूक धारी और केदारनाथ वन्य प्राणी सेंचुरी के आस पास के ग्रामीणों ने गोपेश्वर में जिलाधिकारी हिमांशु खुराना को ज्ञापन सौंपा।

पूर्व विधायक मनोज रावत ने कहा कि उच्च न्यायालय के आड़ लेकर राज्य सरकार जिला चमोली और रुद्रप्रयाग के विभिन्न प्रकार के वन क्षेत्रों या वनों के नजदीक निवास करने वाले निवासियों को उजाड़ने की रणनीति बना रही है। अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों को मान्यता) अधिनियम 2006 भारत की संसद में पास होकर देश का प्रचलित कानून है । इस कानून के अर्न्तगत वनों और उन पर आश्रित निवासियों के दावों को ग्राम, ब्लाक और जिला स्तर पर समितियों को बनाकर निस्तारित किया जाना था। राज्य सरकार द्वारा प्राप्त सूचना के अनुसार 2006 से अभी तक इन कानून के अर्न्तगत चमोली और रुद्रप्रयाग जिले का एक भी दावा निस्तारित नहीं हुआ है। इसलिए जब तक इस कानून के अर्न्तगत वनों और उस पर आश्रितों के व्यक्तिगत और सामुदायिक दावों को कानून के अर्न्तगत नियमतः सुन कर निस्तारित नहीं किया जाता तब तक इन वनाश्रितों को अतिक्रमणकारी कहना कानून का अपमान होगा।

इस मौके पर व्यापार मंडलचोपता के अध्यक्ष भूपेंद्र मैठाणी, उपाध्यक्ष विक्रम भंडारी, जयवीर सिंह, विजेन्द्र सिंह चौहान, गणेश नेगी, पंकज लाल, अरविंद मैठाणी आदि मौजूद थे।

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