संस्कारों की जननी है संस्कृत

ऋषिकेश। श्री मुनीश्वर वेदांग संस्कृत विद्यालय में संस्कृत सप्ताह पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने बच्चों को संस्कृत से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी। लोगों को संस्कृत के प्रति जागरूक किया गया।

शनिवार को मायाकुंड स्थित श्री मुनीश्वर वेदांग संस्कृत विद्यालय में संस्कृत सप्ताह के तहत कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसका शुभारंभ विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. जनार्दन प्रसाद कैरवान ने किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। देश की सभी भाषाओं या बोलियों में 70 प्रतिशत से अधिक शब्द संस्कृत के ही होते हैं। भारतीय भाषा के अलावा अंग्रेजी भाषा में भी कई शब्द संस्कृत से जुड़े हैं। इससे स्पष्ट होता है कि संस्कृत भाषा सबसे प्राचीन भाषा है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण संस्कृत में लिखे गए ग्रंथ वेद हैं। संस्कृत संस्कारों की जननी है। जो संस्कृत को पढ़ता है, वह अमर्यादित कार्य नहीं करता है।

पार्षद मनीष मनवाल ने कहा कि सभी को संस्कृत का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। इससे हम अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति को जान सकते हैं। क्योंकि सभी सनातन ग्रंथ संस्कृत भाषा में रचित हैं। इस दौरान बच्चों ने संस्कृत में श्लोक वाचन, भाषण, संस्कृत गान आदि की प्रस्तुति दी।

मौके पर वैदिक ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष मणिराम पैन्यूली, पूर्व अध्यक्ष गंगाराम व्यास, जितेन्द्र प्रसाद भट्ट, शंकर मणि भट्ट, सुरेश पंत, विशाल शर्मा, अमन सेमवाल, दिव्यांशु काला, अमित बमोला आदि उपस्थित रहे।

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