वक्फ बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट 20 वर्षों से विधानसभा के समक्ष नहीं रखी गयी

देहरादून। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के क्रियाकलाप की वार्षिक रिपोर्ट राज्य सरकार द्वारा बनाकर 20 वर्षों से विधानसभा के समक्ष नहीं रखी गयी हैं। 2003 में राज्य वक्फ बोर्ड गठन से 2023 तक 20 वर्षों में से किसी भी वर्ष की वार्षिक रिपोर्ट बनी ही नहीं है। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ। सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 98 के अन्तर्गत उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट बनाने, विधानसभा के समक्ष रखने सम्बन्धी सूचना मांगी थी। इसकी सूचना न उपलब्ध होने पर प्रथम अपील तथा उत्तराखंड सूचना आयोग को द्वितीय अपील की गयी। द्वितीय अपील सं0 38709 में सूचना आयुक्त अर्जुन सिंह के आदेश दिनांक 05-12-2023 के बाद उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के लोक सूचना अधिकारी/रिकार्ड कीपर सोहन सिंह रावत ने अपने पत्रांक 1107 दिनांक 21 दिसम्बर 2023 से सूचना उपलब्ध करायी है।

नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड गठन से सूचना उपलब्ध कराने की तिथि तक वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 98 के अन्तर्गत प्रदेश के वक्फ बोर्ड व वक्फ सम्पत्तियों के प्रशासन के सम्बन्ध में वार्षिक रिपोर्ट नहीं बनी है तथा वार्षिक रिपोर्ट बनाकर विधानसभा के समक्ष नहीं रखी गयी है। नदीम के सूचना प्रार्थना पत्र के जिन वर्षों की वार्षिक नहीं बनी है उसके रिकार्ड पर उपलब्ध आधारों सहित पूर्ण विवरण सम्बन्धी बिन्दु की कोई सूचना नहीं उपलब्ध करायी गयी है।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता तथा कानून के जानकर नदीम उद्दीन एडवोकेट ने बताया कि वक्फ अधिनियम 1995 धारा 98 के अनुसार राज्य सरकार वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पश्चात यथाशीघ्र राज्य वक्फ बोर्ड के कार्यकरण और प्रशासन तथा उस वर्ष के दौरान राज्य में वक्फों के प्रशासन की बाबत एक साधारण वार्षिक रिपोर्ट तैय्यार करायेगी और उसे विधानसभा के समक्ष रखवाएगी।

नदीम को उपलब्ध अन्य सूचना के अनुसार राज्य में पंजीकृत वक्फ की संख्या कुल 3004 है जिसमें 2091 सुन्नी वक्फ तथा 13 शिया वक्फ शामिल है। वक्फ बोर्ड को सम्पत्तियों में हुई आय से अंशदान के रूप वित्तीय वर्ष 2022-23 में सुन्नी वक्फ सम्पत्तियों से केवल 22 लाख 48 हजार 805 रू. तथा शिया वक्फ सम्पत्तियों से 13790 रू. की धनराशि प्राप्त हुई है।

नदीम के अनुसार राज्य द्वारा वक्फ बोर्ड व सम्पत्तियों के प्रशासन की वार्षिक रिपोर्ट वक्फ बोर्ड के 2003 में गठन से 2023 तक न बनाना अत्यंत चिन्ताजनक व आश्चर्यजनक है। इस रिपोर्ट के बनाने, सार्वजनिक होने तथा विधानसभा के समक्ष रखने से वक्फ सम्पत्तियों पर हो रहे अतिक्रमण को जहां प्रभावी ढंग से रोका जा सकता था तथा वक्फ सम्पत्तियों से होने वाली आय को बढ़ाया जा सकता था जो वक्फ अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार मुस्लिमों तथा अन्य लोगों के सार्वजनिक हितों सहित लोक कार्यों में खर्च की जा सकती थी। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *